विविधा


  • अंधी सड़क का देवता

    चिलचिलाती झुलसाती गर्मी की दोपहरी थी ।पतली -सी वह सड़क लोगों से खचाखच भरी थी l सड़क का रास्ता ऊबड़ – ख़ाबड़ ,पथरीला था ।धूल – मिट्टी भरा ऊँचा – नीचा , मटमैला था l किनारे पर खोदी गई थी गहरी लंबी खाई ।किसी की बन आयी , किसी की मुसीबत घिर आई । बुढ़ापे…

  • गोग्रास

    मैं सुबह पाँच बजे अपनी रसोई में प्रवेश करती हूँ और भोजन की व्यवस्था में जुट जाती हूँ। घर में कई सालों से तीन या चार टिफ़िन पैक किए जाते हैं। हर रोज़ भोजन में जो भी बनता है सबसे पहले गोमाता का हिस्सा (गोग्रास) रखा जाता है। मैंने माँ के घर में बचपन से…

  • नदिया की धारा

    ये नदिया की धारा का, कल -कल छल -छल संगीत । इस धारा से मिलकर गाएँ, नव उमंग के गीत । नदिया आगे बढ़ती जाती  हँसती खिलखिलाती  सात सुरों का सरगम गाती  मन ही मन मुसकाती वैसे ही हम जग में देते, हँसने का संदेश । प्रेम की ख़ुशबू को फैलाते, सभी देश -परदेश ।…

  • अकरम

    नैनीताल के पास ही एक छोटी – सी जगह है रानीबाग। इतनी छोटी कि इसे कस्बा भी नहीं कह सकते। पर इस छोटी – सी जगह के भी कुछ खास  मायने हैं। मेरे मन में यह जगह छोटी होकर भी बहुत बड़ी हो गई है । महान होने के लिए  आकार में बडा़ होना बिलकुल…

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