
चिलचिलाती झुलसाती गर्मी की दोपहरी थी ।पतली -सी वह सड़क लोगों से खचाखच भरी थी l सड़क का रास्ता ऊबड़ – ख़ाबड़ ,पथरीला था ।धूल – मिट्टी भरा ऊँचा – नीचा , मटमैला था l किनारे पर खोदी गई थी गहरी लंबी खाई ।किसी की बन आयी , किसी की मुसीबत घिर आई । बुढ़ापे…
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