विविधा


  • नव रचना

    वह थी सुबह के पूरब की लाली खिल उठी पत्ती और डाली डाली एक छोटी-सी रंगीन बगिया उसमें रहती थी नन्ही- सी चिड़िया  डाली-डाली में खिलती थीं कलियाँ पास बहती थी मस्ती में नदिया । बेलबूटों में झुरमुटों में गीत था  फूल- पाती कली में संगीत था  हर दिशा में सुबह की महक थी  सारे…

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