
वह थी सुबह के पूरब की लाली खिल उठी पत्ती और डाली डाली एक छोटी-सी रंगीन बगिया उसमें रहती थी नन्ही- सी चिड़िया डाली-डाली में खिलती थीं कलियाँ पास बहती थी मस्ती में नदिया । बेलबूटों में झुरमुटों में गीत था फूल- पाती कली में संगीत था हर दिशा में सुबह की महक थी सारे…
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