
मेरे घर की खिड़की पे पानी सा-शीशा हैपानी-सा शीशा कैनवस बन जाता है । क़ुदरत के रंग और मौसम की रंगतख़ुद में उतारकर अद्भुत बन जाता है । खिड़की के कैनवस पर शाखें इतरातींनए रूप-रंग चित्रकारी दिखातीं ।पेड़ों के झुरमुटों को हवा पंख देतीहिलाकर झुला कर चुपचाप सरक लेती । जब आया पतझड़ तो पत्तियाँ…
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