
बरसों से सुबह-सुबह हर रोज़ वहाँ जाती थी , फिर रजिस्टर खोल अपने दस्तख़त करती थी I न जाने कैसा वह दिन आया किसी ने मीठी आवाज़ में गुनगुनाया – आज अंतिम बार दस्तख़त कर लो यादगार के लिए फोटो भी खींच लो I मन सिसक – सिसक रहा होंठ मुसकुरा रहे कँपकँपाती कलम से …

माली-मालिन की जिंदगी भी कितनी दिलचस्प होती है Iहर रोज़ ज़मीन तैयार करो Iबीज बोओ Iपौध तैयार करो Iक्यारियाँ बनाकर पौधे रोपो और फिर इंतज़ार करो खिलखिलाते फूलों की नयी दुनिया का Iदुनिया में जितने कारोबार हैं उतनी ही होड़ भी मची हुई है Iहोड़ ऐसी कि जो कारोबारियों को न कभी थमने दे,…
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