विविधा


  • लुप्त होतीं आवाज़ें 

    रामलीला समापन की ओर बढ़ रही है और दिवाली की तैयारी शुरू हो रही है I मन के भीतर एक नदी -सी बह रही है I बचपन की यादों का प्रवाह थमने का नाम नहीं लेता I फिर वही बचपन का गाँव – कहीं हरे-भरे खेतों के बीच लकड़ी-पत्थर के छोटे-छोटे घर और कहीं ऊँची…

  • और इंतज़ार खत्म हुआ

    बुधवार , 2024  आज 2 अक्टूबर का खास दिन है I मैं अखबार खोलकर बैठी हूँ I अभी चंद पंक्तियाँ ही पढ़ी हैं और मैं एकदम स्तब्ध हूँ I खबर आई है कि 56 वर्ष की लंबी प्रतीक्षा के बाद सोमवार को केरल के ओडालिल परिवार का इंतज़ार समाप्त हुआ I 56 वर्ष पहले रोहतांग…

  • अलविदा दोस्तो !

    बरसों से सुबह-सुबह हर रोज़ वहाँ जाती थी , फिर रजिस्टर खोल अपने दस्तख़त करती थी I न जाने कैसा वह दिन आया   किसी ने मीठी आवाज़ में गुनगुनाया – आज अंतिम बार दस्तख़त कर लो    यादगार के लिए फोटो भी खींच लो I मन सिसक – सिसक रहा  होंठ मुसकुरा रहे कँपकँपाती कलम से …

  • ओ मालिन ! तुम खिलाड़ी

      माली-मालिन की जिंदगी भी कितनी दिलचस्प होती है Iहर रोज़  ज़मीन तैयार करो Iबीज बोओ Iपौध तैयार करो Iक्यारियाँ बनाकर पौधे रोपो और फिर इंतज़ार करो खिलखिलाते फूलों की नयी दुनिया का Iदुनिया में जितने कारोबार हैं उतनी ही होड़ भी मची हुई है Iहोड़ ऐसी कि जो कारोबारियों को न कभी थमने दे,…

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