बुधवार , 2024
आज 2 अक्टूबर का खास दिन है I मैं अखबार खोलकर बैठी हूँ I अभी चंद पंक्तियाँ ही पढ़ी हैं और मैं एकदम स्तब्ध हूँ I खबर आई है कि 56 वर्ष की लंबी प्रतीक्षा के बाद सोमवार को केरल के ओडालिल परिवार का इंतज़ार समाप्त हुआ I 56 वर्ष पहले रोहतांग की बर्फीली पहाड़ियों में हुई विमान दुर्घटना में इस परिवार का एक बेटा भी था I नाम था थॉमस चेरियन I उम्र 22 वर्ष I सोमवार को पर्वतारोहियों की टीम ने ढाका ग्लेशियर से चार शव बरामद किए और उनमें से एक शव थॉमस चेरियन का है I थॉमस चेरियन उन 101 यात्रियों में से एक था जो भारतीय वायु सेना के ए एन 12 विमान में यात्रा कर रहे थे I विमान 7 फरवरी 1968 में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था I
थॉमस चेरियन बतौर क्राफ्ट्समैन आर्मी में भर्ती हुआ था I थॉमस चेरियन के छोटे भाई थॉमस थॉमस ने बताया कि परसों सोमवार को आर्मी हेडक्वार्टर दिल्ली से खबर आई कि थॉमस चेरियन का शव प्राप्त हो गया है I उसका शव लगभग पूरी तरह से सही सलामत है I उसकी वर्दी की पॉकेट में एक बुक मिली है जिसका कुछ हिस्सा जला हुआ है I उसमें उसका नाम और चेस्ट नंबर अंकित हैं I इससे शव की पहचान करने में आसानी हो गई I औपचारिकताएँ पूरी करने के बाद कुछ ही दिनों में शव केरल भेज दिया जाएगा I

थॉमस चेरियन की नियुक्ति लेह में थी I दुर्घटना के समय वह चंडीगढ़ से लेह जा रहा था I थॉमस चेरियन के माता-पिता ने अपनी जीवन-यात्रा के अंतिम क्षणों तक भी इंतज़ार किया कि उन्हें अपने पुत्र की किसी भी तरह की खबर सुनने को मिले परंतु उनके जीते जी ऐसा नहीं हो सका I मगर हाँ , एक खास बात – हर चौथे या पाँचवें साल सेना से सूचना आती थी –
‘‘सर्च वाज़ गोइंग ऑन’’ { खोज जारी है }
थॉमस थॉमस ने बताया कि इससे परिवार में एक नई आशा जागती थी और हम इंतज़ार करते थे थॉमस चेरियन की किसी भी खबर का या उसकी बॉडी का I
मैं अखबार को बार -बार देख रही हूँ I हैरान आँखों से बार-बार पढ़ रही हूँ I थॉमस चेरियन की खबर पढ़कर मैं स्तब्ध हूँ I शब्द मौन हैं I आँखें नम हैं I 56 वर्ष का समय कितना लंबा होता है ! एक मनुष्य की समूची जिंदगी के बराबर ! और यह सचमुच अद्भुत है ,अकल्पनीय है कि 56 वर्ष के बाद थॉमस चेरियन का शव रोहतांग की हिमाच्छादित पहाड़ियों में सही सलामत प्राप्त हुआ I न कोई चोट न कोई खरोंच I न गलन न सड़न I
रोहतांग हिम श्रेणी ! रोहतांग हिम शिखर !
तुम्हें शीश झुकाकर हृदय से नमन I
तुम्हें समूची मानवता का शत-शत नमन I
तुम नहीं जानते यह कितना अलौकिक है ! कितना अप्रतिम है ! तुमने मातृभूमि के लाडले को अपनी गोद में सुरक्षा प्रदान की I धरती माँ के सच्चे सपूत को अपने दामन में पनाह दी I अगर मनुष्य के जीवन से बचपने के 10 -12 वर्ष कम कर दो तो समझो 56 वर्ष एक मनुष्य की पूरी जिंदगी के बराबर होते हैं I इन वर्षों में क्या कुछ नहीं हुआ होगा I जब जेठ की दुपहरी में सूरज की प्रचंड गर्मी से हिम पिघलता होगा तब हिमनद अचानक ही भयंकर रूप धारण कर प्रवाहित होते होंगे I कभी बहने का डर तो कभी गलने का डर I तुमने बालक को माँ का आँचल प्रदान कर हिम-धाराओं से कैसे-कैसे बचाया होगा I
बचपन में थॉमस चेरियन की माँ एलियम्मा भी उसे अपनी धोती के आँचल से ढक कर सूरज के ताप से बचाती होगी I कभी उसके मुँह में पानी के छींटे देकर ठंडक पहुँचाती होगी , कभी दो घूँट पानी पिलाता होगी I फिर भी वह नहीं मानता होगा तो थकी-हारी माँ उसे गोद में उठा लेती होगी I और पिता के तो कहने ही क्या ! पिता ओडालिल जब उसे कंधे पर बिठाकर एक नई दुनिया की सैर कराता होगा , तब धूप तो अवश्य लगती होगी I वह झट से अपनी जेब से रुमाल निकाल कर गर्मी से अकुलाए बालक का पसीना पोंछता होगा और फिर उसी रुमाल से बालक का सिर ढक देता होगा I थोड़ी देर चलकर किसी घने पेड़ की छाँव ढूँढ उसे अपनी गोद में दो पल के लिए सुला देता होगा I
हिमशिखर ! तुमने माता-पिता की ही भाँति और सच कहूँ तो उससे भी बढ़कर बालक को अपना स्नेह दिया I बरसों तलक अपनी ममतामयी गोद दी I बर्फ का गद्देदार बिछौना दिया I शीत ऋतु में जब लगातार हिमपात होता होगा तब उत्तुंग हिम-चोटियाँ भरभरा कर गिर पड़ती होंगी I अंतहीन विस्तार पाती पहाड़ियाँ हिमभार से लदकर एकदम से धसक पड़ती होंगी I बर्फीली तूफानी रातों में कहीं हिम गह्वर { गड्ढे } , कहीं भीषण खाइयाँ , कहीं धरती को चीरती दरारें I तब तुमने अपने लाल को बचाने के लिए कैसे-कैसे उद्यम किए होंगे I कभी दबने का डर तो कभी धँसने का डर I
रोहतांग शिखर ! मेरी दृष्टि में तुम्हारी उदारता अद्भुत है I तुम्हारा उपकार मानव-संसार के लिए कितना बड़ा चमत्कार है I यह तुम नहीं जानते I तुम इंसानी दुनिया से बहुत ऊपर हो I राजनीति से परे हो I इंसानी राजनीति तुम्हें छू तक नहीं सकी I ऐसी दिव्यता मनुष्य में कहाँ ! न नाम जानना चाहा न शहर I न जाति-धर्म न पूरब-पश्चिम I न पार्टी का पता लगाया न राज्य का I बस माँ के लाल को जैसा पाया , बरसों उसकी हिफाज़त की और फिर बिल्कुल वैसा ही सोंप दिया I
ओडालिल परिवार ने एक बार तो अवश्य ही अपने आँगन से उत्तर की ओर मुख करके दोनों हाथ जोड़ रोहतांग शिखर को हृदय से नमन किया होगा Iऔर फिर अंत में थॉमस थॉमस ने दिल की बात कही होगी –
”भाई ! तुम तो जैसे गए थे वैसे ही हो I 22 वर्ष के नव जवान I मैं तुम्हारा छोटा भाई तुम्हारा इंतज़ार करते-करते 76 वर्ष का हो गया हूँ I”
रोहतांग शिखर ! तुम्हारा हृदय समूची मानव-सभ्यता के लिए एक मिसाल है I तुम बहुत ऊँचे हो I इसीलिए तो कुदरत ने तुम्हें चाँदी-से चमकते हिम का ताज पहनाया है I तुम दैवीय गुणों से भरपूर हो I इसीलिए तो तुम मानव-बस्ती से इतनी दूर बसते हो I
इसीलिए तो हिम-किरीट से सुसज्जित तुम्हारा मस्तक इतना ऊँचा है I


Leave a reply to अनाम जवाब रद्द करें